वोटर लिस्ट विवाद: 65 लाख नाम हटाए, चुनाव आयोग की कार्रवाई पर विपक्ष आक्रामक, सुप्रीम कोर्ट ने दी कड़ी चेतावनी
New Delhi / Patna (Election News): भारत में लोकतंत्र की नींव मतदाता सूची है और अब इसी पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आगामी Bihar Assembly Elections 2025 और अन्य राज्यों के चुनावों से पहले, Election Commission of India (ECI) ने Special Intensive Revision (SIR) of Electoral Roll के तहत लगभग 65 lakh voters removed from voter list कर दिए हैं। इस चौंकाने वाले आंकड़े ने विपक्ष को हमलावर बना दिया है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
क्यों हटाए गए 65 लाख नाम?
चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया हर चुनाव से पहले होती है।
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Duplicate entries (एक से ज्यादा बार नाम दर्ज होना)
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Shifted voters (मतदाता का स्थान बदल जाना)
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Deaths not updated (मृत मतदाताओं का नाम न हटना)
इन कारणों से नाम हटाए गए हैं। आयोग का दावा है कि यह कदम clean electoral roll in India सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
विपक्ष का आरोप: “जनता को वोट के अधिकार से वंचित किया जा रहा है”
विपक्षी दलों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाना सिर्फ तकनीकी सुधार नहीं बल्कि Political conspiracy in voter list revision है।
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कांग्रेस ने कहा कि गरीब और हाशिए पर खड़े समुदायों के नाम जानबूझकर हटाए गए।
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आरजेडी और वाम दलों ने इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला” बताया।
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विपक्ष का आरोप है कि Election Commission of India controversy सरकार के दबाव में हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: “अवैधता मिली तो पूरी प्रक्रिया रद्द”
Supreme Court on voter list controversy ने इस मामले को गंभीर मानते हुए चुनाव आयोग से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा:
“मतदाता सूची लोकतंत्र का आधार है। अगर इसमें कोई अवैधता पाई गई तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी।”
यह बयान विपक्ष के लिए राहत और चुनाव आयोग के लिए कड़ी चेतावनी माना जा रहा है।
बिहार चुनाव 2025 पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सीधे-सीधे Bihar elections 2025 को प्रभावित करेगा।
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अगर लाखों मतदाताओं के नाम वाकई गलत तरीके से हटाए गए हैं तो विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाएगा।
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भाजपा और एनडीए इसे “साफ-सुथरी मतदाता सूची” का कदम बताकर जनता के बीच ले जाएंगे।
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चुनाव आयोग पर जनता का भरोसा कितना कायम रहता है, यह आने वाले चुनाव में साफ होगा।
मतदाताओं की परेशानी
कई नागरिक सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि उनके नाम अचानक deleted from electoral roll हो गए हैं।
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Voter rights in India पर सवाल उठ रहे हैं।
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लोग कह रहे हैं कि अगर चुनाव के दिन नाम नहीं मिला तो वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे।
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Electoral roll revision issues को लेकर हजारों शिकायतें चुनाव आयोग तक पहुंच रही हैं।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आने वाले चुनाव में “निर्णायक फैक्टर” हो सकता है।
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Young voters in Bihar इस बार सबसे बड़ी संख्या में वोट डालेंगे। अगर उनके नाम सूची से हटे तो नाराजगी बढ़ सकती है।
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ग्रामीण इलाकों में जहां इंटरनेट कम है, वहां लोग अपने नाम चेक भी नहीं कर पाएंगे।
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Opposition vs Election Commission की लड़ाई से जनता का भरोसा डगमगा सकता है।
निष्कर्ष
वोटर लिस्ट से 65 lakh names removed होना एक सामान्य प्रक्रिया है या किसी बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा – यह अब सुप्रीम कोर्ट की जांच और चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर निर्भर करेगा। लेकिन इतना तय है कि यह विवाद आने वाले Bihar Assembly Elections 2025 और पूरे देश के लोकतंत्र की दिशा तय करेगा।
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