बिहार में नई शिक्षा नीति लागू: 10वीं-12वीं के सिलेबस में होगा बड़ा बदलाव, छात्रों के भविष्य को मिलेगी नई दिशा New Education Policy Bihar
पटना: बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हो गई है। लंबे समय से प्रतीक्षित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)New Education Policy Bihar को राज्य में प्रभावी रूप से लागू कर दिया गया है। इस ऐतिहासिक फैसले का सबसे बड़ा असर 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों पर पड़ने वाला है, क्योंकि बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (BSEB) ने इन दोनों महत्वपूर्ण कक्षाओं के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव की घोषणा की है। यह बदलाव केवल विषयों तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा के पूरे दृष्टिकोण को ही बदलने वाला है, जिसमें रटने की बजाय समझ और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया गया है।
शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के अनुसार, इस नए सिलेबस को तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, जिसमें शिक्षाविदों, मनोवैज्ञानिकों और करियर सलाहकारों को शामिल किया गया था। समिति ने देश भर में शिक्षा के बदलते परिदृश्य और छात्रों की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह पाठ्यक्रम बनाया है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को केवल अकादमिक ज्ञान देना नहीं, बल्कि उन्हें 21वीं सदी के कौशल (21st Century Skills) से लैस करना है, ताकि वे न केवल बेहतर अंक प्राप्त कर सकें, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार हों।
Bihar Board Syllabus Change 2025
यह बदलाव छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विषय चुनने की अधिक स्वतंत्रता देगा। अब विज्ञान, कला और वाणिज्य जैसे पारंपरिक संकायों (streams) की सीमाएं लगभग समाप्त हो गई हैं। उदाहरण के लिए, एक विज्ञान का छात्र अब गणित के साथ इतिहास या मनोविज्ञान जैसे विषयों का चयन कर सकता है। इसी तरह, एक कला का छात्र अर्थशास्त्र के साथ कंप्यूटर विज्ञान भी पढ़ सकता है। इस लचीलेपन से छात्रों को एक समग्र (holistic) शिक्षा मिलेगी और वे अपनी रुचि और करियर लक्ष्यों के अनुसार विषयों का संयोजन कर पाएंगे।
नए पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएं
नए पाठ्यक्रम में कई अभिनव तत्वों को जोड़ा गया है, जो बिहार के छात्रों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएंगे।
व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण (Integration of Vocational Education): 10वीं और 12वीं के सिलेबस में कई नए व्यावसायिक पाठ्यक्रम (Vocational Courses) जोड़े गए हैं। इनमें कोडिंग (Coding), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence), डेटा साइंस, मोबाइल रिपेयरिंग, पर्यटन और आतिथ्य (Tourism and Hospitality), और कृषि तकनीक (Agricultural Technology) जैसे विषय शामिल हैं। इन विषयों को चुनने वाले छात्रों को थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे वे स्कूल से निकलने के बाद तुरंत नौकरी या अपना व्यवसाय शुरू करने में सक्षम होंगे।
प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा (Project-Based Learning): अब सिर्फ लिखित परीक्षा ही मूल्यांकन का एकमात्र आधार नहीं होगी। हर विषय में छात्रों को प्रोजेक्ट और शोध कार्य (research projects) दिए जाएंगे। इससे उनमें समस्या-समाधान (problem-solving), टीम वर्क और रचनात्मक सोच (creative thinking) जैसे महत्वपूर्ण कौशल विकसित होंगे।
कला और खेल को महत्व (Importance to Arts and Sports): नई नीति के तहत, कला और खेल को अब केवल अतिरिक्त गतिविधियों के रूप में नहीं देखा जाएगा। इन्हें भी मुख्य विषयों की तरह ही क्रेडिट दिए जाएंगे। इससे छात्रों को अपनी प्रतिभा को निखारने का मौका मिलेगा और उनका सर्वांगीण विकास (all-round development) सुनिश्चित होगा।
परीक्षा प्रणाली में बदलाव (Changes in Examination System): बोर्ड परीक्षाओं का स्वरूप अब बदल जाएगा। साल में दो बार परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव है, जिसमें छात्र अपनी सुविधानुसार परीक्षा दे सकेंगे और जिस पेपर में उनके बेहतर अंक आएंगे, उसे अंतिम परिणाम में गिना जाएगा। इससे छात्रों पर से परीक्षा का दबाव कम होगा और वे साल भर सीखने पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
शिक्षकों और स्कूलों के लिए चुनौतियाँ और अवसर
यह बदलाव केवल छात्रों के लिए नहीं, बल्कि शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए भी कई चुनौतियाँ और अवसर लेकर आया है। शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण (special training) दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की है। शिक्षकों को नई तकनीक, डिजिटल टूल्स (digital tools) और प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षण विधियों (project-based teaching methods) में प्रशिक्षित किया जाएगा। कई स्कूल, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, बुनियादी ढांचे (infrastructure) की कमी का सामना कर सकते हैं, जैसे कि कंप्यूटर लैब और व्यावसायिक विषयों के लिए आवश्यक उपकरण। सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए फंड आवंटित करने और निजी स्कूलों के साथ साझेदारी (partnership) करने की योजना बनाई है।
शिक्षा मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमारा लक्ष्य बिहार की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाना और छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना है। यह नीति केवल सिलेबस बदलने के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक मानसिकता (mindset) में बदलाव है।"
छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
इस घोषणा के बाद छात्रों और अभिभावकों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। एक ओर, अधिकांश छात्रों ने विषयों को चुनने की स्वतंत्रता का स्वागत किया है। 11वीं कक्षा के छात्र राहुल कुमार ने कहा, "यह बहुत अच्छा फैसला है। मैं विज्ञान का छात्र हूँ, लेकिन मुझे इतिहास में भी बहुत रुचि है। अब मैं दोनों पढ़ पाऊँगा, जो मुझे यूपीएससी की तैयारी में मदद करेगा।"
दूसरी ओर, कुछ अभिभावक अभी भी इस बदलाव को लेकर आशंकित हैं। एक अभिभावक, सुनीता देवी ने कहा, "यह सब सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन हमें डर है कि क्या हमारे ग्रामीण स्कूलों में यह सब लागू हो पाएगा? क्या शिक्षकों के पास इसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण है?"
हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी और सभी हितधारकों को इस प्रक्रिया में शामिल करेगी।
भविष्य की ओर एक कदम
बिहार की शिक्षा प्रणाली में यह बदलाव एक बड़ा कदम है। यह राज्य के युवाओं को सशक्त बनाने और उन्हें राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में लाने का एक प्रयास है। उम्मीद है कि यह नीति न केवल बिहार में शिक्षा के स्तर को बढ़ाएगी, बल्कि छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने और एक सफल भविष्य बनाने का अवसर भी देगी। इस नीति के सफल क्रियान्वयन से बिहार शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित कर सकता है। यह बिहार को एक ज्ञान-आधारित समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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